Tuesday, December 16, 2008

रामजी, रामजी, यही थारो काम जी... (भजन)

विशेष नोट: अब इसे भजन कहिए या प्रार्थना, हमारे परिवार में यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जाती रही है... मेरे दादाजी भी इसे गाते थे, और हम भाई हमारे पिता के मुख से भी इसे बचपन से सुनते आ रहे हैं... अब मेरे बेटे को भी यह काफ़ी अच्छी लगती है... दरअसल, इसे आमतौर पर हम सुबह स्नान करते हुए गाते हैं, और इसकी बेहद तेज़ गति ही इसे बेहद रोचक और कर्णप्रिय बना देती है...

राम भजो, राम भजो, राम भजो, राम...
गोविन्द, माधव, श्याम भजो श्याम...

राम जी का नाम सदा मिश्री...
जब चाखे, तब गोंद-गिरी...
राम नाम लडुआ, गोपाल नाम घी...
हर को नाम मिश्री, तू घोल-घोल पी...

रामजी, रामजी, यही थारो काम जी...
खाने को दो दाल-रोटी, चाबने को पान जी...
चढ़ने को घोड़ा देओ, खर्चने को दाम जी...
रामजी, रामजी, यही थारो काम जी...

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