विशेष नोट : पश्चिमी दिल्ली के जिस क्षेत्र में हमारा निवास है, वहां सिख परिवार काफी अच्छी तादाद में हैं, सो, बचपन से स्कूल और पड़ोस के साथियों में अनेक सिख दोस्त भी रहे हैं, सो, यह भी याद है... वैसे आपकी जानकारी के लिए मुझे गुरुमुखी (पंजाबी भाषा की लिपि) का भी ज्ञान है...
गुरुमुखी
ੴ
ਸਤਿਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ
ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ
ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ
ਅਜੂਨੀ
ਸੈਭੰ
ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ
उच्चारण
Ik▫oaʼnkār
saṯ nām karṯā purakẖ
nirbẖa▫o nirvair
akāl mūraṯ
ajūnī
saibẖaʼn
gur parsāḏ
हिन्दी
एक ओंकार
सतिनामु करता पुरखु
निरभउ निरवैरु
अकाल मूरति
अजूनी
सैभं
गुर प्रसादि
अनुवाद हिन्दी में
एक ओंकार : परमात्मा मात्र एक ही है...
सतिनामु करता पुरखु : उसका नाम सत्य है, वह रचने वाला है...
निरभउ निरवैरु : वह डर और वैर से रहित है...
अकाल मूरति : उसके स्वरूप पर समय का कोई प्रभाव नहीं...
अजूनी : वह योनियों में नहीं आता...
सैभं : वह स्वयं प्रकाशमय है...
गुर प्रसादि : वह गुरु की कृपा से मिलता है...
English and Gurumukhi translation by Bhai Manmohan Singh ji (Courtesy: http://www.srigranth.org)
English: There is but one God. True is His Name, creative His personality and immortal His form. He is without fear sans enmity, unborn and self-illumined. By the Guru's grace He is obtained.
Gurumukhi: ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਕੇਵਲ ਇਕ ਹੈ। ਸੱਚਾ ਹੈ ਉਸ ਦਾ ਨਾਮ, ਰਚਨਹਾਰ ਉਸ ਦੀ ਵਿਅਕਤੀ ਅਤੇ ਅਮਰ ਉਸ ਦਾ ਸਰੂਪ। ਉਹ ਨਿਡਰ, ਕੀਨਾ-ਰਹਿਤ, ਅਜਨਮਾ ਤੇ ਸਵੈ-ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਵਾਨ ਹੈ। ਗੁਰਾਂ ਦੀ ਦਯਾ ਦੁਆਰਾ ਉਹ ਪਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।
बचपन से ही कविताओं का शौकीन रहा हूं, व नानी, मां, मौसियों के संस्कृत श्लोक व भजन भी सुनता था... कुछ का अनुवाद भी किया है... वैसे यहां अनेक रचनाएं मौजूद हैं, जिनमें कुछ के बोल मार्मिक हैं, कुछ हमें गुदगुदाते हैं... और हां, यहां प्रकाशित प्रत्येक रचना के कॉपीराइट उसके रचयिता या प्रकाशक के पास ही हैं... उन्हें श्रेय देकर ही इन रचनाओं को प्रकाशित कर रहा हूं, परंतु यदि किसी को आपत्ति हो तो कृपया vivek.rastogi.2004@gmail.com पर सूचना दें, रचना को तुरंत हटा लिया जाएगा...
Tuesday, December 16, 2008
जपुजी साहिब (मूल गुरुमुखी तथा हिन्दी, अंग्रेज़ी व गुरुमुखी में अनुवाद सहित)
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ek shaandaar sangrahan......badhaai ke paatra hain aap
ReplyDeletevivek ji bahut hi sunder blog hai yeh. aapko badhai . yeh itna sunder hai ki muje yaha roj aana hi padega.
ReplyDeleteहिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे। बढिया लिखे। हजारों शुभकामनांए।
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में कोई बाधा न रहे… धन्यवाद
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteआपकी कोशिश अच्छी है। ब्लॉग के शीर्षक के नीचे लिखी इबारत में आपने धर्म का उल्लेख किया है। धार्मिक होना कोई बुरी बात नहीं है। धर्म तो हमें अच्छा इंसान बनाता है। मुझे भी सिखों के बीच और पंजाब में काम करने का मौका मिला है। गुरुद्वारों में जब रागी कोई शबद सुनाते थे तो वह बहुत कर्णप्रिय लगता था। रिपोर्टिंग के दौरान अमृतसर और गोल्डन टेंपल जाने का भी मौका मिला, वहां के रागियों की बातें ही अलग हैं। इसी तरह लता मंगेशकर की आवाज में गायत्री मंत्र सुनना भी अच्छा लगता है। बहरहाल, तमाम लोकप्रिय भजनों, मंत्रों, श्लोकों वगैरह को एक जगह लाकर आपने वाकई बहुत अच्छा काम किया है। आप बधाई के पात्र हैं।
ReplyDeleteसमय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।
भाई कुछ पढा नहीं जा रहा सारे बिंदु ही नज़र आ रहे हैं कोई ग़ड़्बड़ तो नहीं ब्लॉग पर।
ReplyDeleteरश्मि प्रभा जी, आपकी बधाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeletePriya Dr GS Narang saheb... Blog ko pasand karne ke liye aabhaari hoon, aur yeh koshish karne ka vaada karta hoon, ki aapke har baar yahaan aane par aapko kuchh na kuchh naya dene ka mera prayaas jaari rahega...
ReplyDeleteVivek Rastogi
प्रिय अशोक मधुप जी... वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा रहा हूं... स्वागत करने और सुझाव देने के लिए आपका धन्यवाद...
ReplyDeleteविवेक रस्तोगी
संगीता पुरी जी... आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteप्रिय यूसुफ किरमानी जी... सहमत हूं कि धार्मिक होना हरग़िज़ बुरा नहीं होता... परंतु वास्तविकता यह है कि यह ब्लॉग मेरी पसंदीदा पद्य रचनाओं का संकलन है, जिनकी वजह से यह धार्मिक स्वरूप लेता दिख रहा है... जबकि असल में एक अदृश्य सर्वोच्च शक्ति पर अगाध श्रद्धा होने के बावजूद मैं खुद को धार्मिक नहीं मानता, क्योंकि परमात्मा के 'घर' नियमत: नहीं जाता... पूजा कभी नियम बनाकर नहीं करता... मेरी मान्यता है कि आंख बंद करके परमात्मा (सर्वोच्च शक्ति) को याद कर लेना मात्र ही पर्याप्त पूजा है...
ReplyDeleteयूं मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, गिरजों और पीरों की मज़ारों पर जाना मेरे शौकों में शामिल है, परंतु नियम से कहीं नहीं जाता...
बहरहाल, मेरे प्रयास को सराहने के लिए धन्यवाद...
प्रिय प्रकाश बादल जी... कह नहीं सकता, क्या वजह होगी, परंतु क्या आप हिन्दी के अन्य ब्लॉग पढ़ पाते हैं... यदि नहीं, तो आपको कम्प्यूटर के कन्ट्रोल पैनल में जाकर हिन्दी भाषा को एक्टीवेट करना होगा...
ReplyDeleteबहुत अच्छी एवं ज्ञानदायक पोस्ट है आपकी
ReplyDeleteशुभकामनाऎं
खूब लिखें,अच्छा लिखें
प्रिय डीके शर्मा 'वत्स' जी... ब्लॉग को पसंद करने और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद...
ReplyDeleteaapke blog me FOLLOW THIS BLOG link nahi hai .
ReplyDeletekripya laga de taki mai aapke blog ko follow kar saku
प्रिय मनोज जी... प्रशंसा तथा स्वागत के शब्दों के लिए धन्यवाद... धीरे-धीरे टूल्स से भी परिचय बनाने की कोशिश कर रहा हूं, और निश्चित रूप से कुछ न कुछ ज़रूर जोड़ूंगा...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन तीन दिन पहले ही हटा चुका हूं, देखूंगा कि क्यों अब भी आ रहा है...
Follow this Blog ka link lagaane ke liye kya karna hoga, dekhta hoon... Avashya lagaaoonga...
Saadar...
Vivek
Your blog is really a Indian blog
ReplyDeleteAnekata mein Ekata
कलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
प्रिय रचना गौड़ 'भारती' जी... मेरा ब्लॉग आपको पसंद आया, सफल हुआ मेरा उद्देश्य... कोशिश करूंगा कि हमेशा कुछ नया मिले आपको मेरे ब्लॉग पर... आपके ब्लॉग पर भी ज़रूर पहुंचूंगा...
ReplyDeleteविवेक रस्तोगी
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteप्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
प्रिय प्रवीण जी... स्वागत के शब्दों और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद...
ReplyDeleteरस्तोगी जी ! कई ज़िज्ञासुओं के लिये तो आपका ब्लोग वरदान स्वरूप है । भूले बिसरे मोहक गीत , भूली बिसरी प्रार्थनाएं । सभी कुछ समाहित यहां, जैसे बचपन लौट आया हो । कृपया इसमे निरंतर बढोत्तरी करते रहियेगा । अपने खज़ाने से सभी को समृद्ध कीजियेगा ।
ReplyDeleteप्रिय RDS भाई... आपको यह ब्लॉग पसंद आया, मेरा उद्देश्य सफल हुआ... कोशिश करूंगा कि आपको हमेशा कुछ नया मिले यहां...
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