Friday, January 22, 2010

काली भेड़... Ba Ba Black Sheep... (विवेक रस्तोगी)

विशेष नोट : मेरे पुत्र सार्थक के स्कूल में उसे अंग्रेज़ी की बाल कविता (Nursery rhyme) 'Ba Ba Black Sheep' सिखाई गई... सर्दियों की छुट्टियों में जब वह दिल्ली आया, तो मैंने कुछ नया सिखाने के उद्देश्य से उसी कविता का हिन्दी अनुवाद कर दिया, और मज़े की बात यह है कि अब वह अंग्रेज़ी के बजाए हिन्दी की कविता सुनाता है...


Ba Ba black sheep...
Have you any wool...
Yes sir... Yes sir...
Three bags full...
One for my master...
One for the dame...
One for the little boy...
Who lives down the lane...

अब इसी का अनुवाद, जो मैंने अपने बेटे को सिखाया...

काली भेड़, काली भेड़...
ऊन है क्या तेरे पास...
हां जी, हां जी...
पूरे तीन थैले खास...
एक थैला मालिक का...
एक है सहेली का...
एक थैला सार्थक का...
जो घोंचूराम बरेली का...


Friday, January 08, 2010

छोटा होना महा-मुसीबत...

विशेष नोट : यह कविता मैंने और मेरी मौसेरी बहन ने बचपन में याद की थी, और हमारे ननिहाल में यह सभी को याद है... उम्मीद है कि मेरे बच्चों को भी यह पसंद आएगी...

रचनाकार : अज्ञात

छोटा होना महा-मुसीबत...
छोटा होना महा-मुसीबत...

बीच बड़ों के जाकर बैठूं,
और ज़रा भी अकड़ूं-ऐठूं,
तुरत डांट सुननी पड़ती है,
ये कैसी खराब है आदत...

छोटा होना महा-मुसीबत...

अपने से छोटों को डांटूं,
मम्मी कहती, ज़रा ठहर तू,
बड़ा डांटने वाला आया,
क्या तेरी आई है शामत...

छोटा होना महा-मुसीबत...

हे ईश्वर, मुझे बड़ा बना दे,
मेरे दाढ़ी-मूंछ उगा दे,
क्योंकि बड़ों की यही निशानी,
रोज़ सवेरे करें हजामत...

छोटा होना महा-मुसीबत...

Monday, January 04, 2010

पेड़ हमारा जीवनदाता... (विवेक रस्तोगी)

विशेष नोट : कल रात बेटे की कुछ नया सिखाने की फरमाइश पूरी करने के चक्कर में एक छोटी-सी कविता लिख डाली... कृपया टिप्पणी करते वक्त याद रखें, यह चार साल के बच्चे के लिए लिखी गई है...


हरा-हरा जो पेड़ है होता,
मीठे-मीठे फल है देता...
खुशबू वाले फूल भी देकर,
बदले में कुछ भी न लेता...

पेड़ बड़ा जब हो जाता है,
धूप से हमें बचाता है...
ठंडी-ठंडी छाया इसकी,
हमें आराम पहुंचाता है...

पेड़ कभी न काटो भैया,
बारिश यह लेकर आता...
सदा याद रखो तुम साथी,
पेड़ हमारा जीवनदाता...
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