Tuesday, December 16, 2008

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में... (भजन)

विशेष नोट : मेरी नानीजी का भजन, जो अब तक मां और मौसी से सुनता रहता हूं...

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में...
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में...

मेरा निश्चय बस एक यही, इक बार तुम्हें पा जाऊं मैं,
अर्पण कर दूं दुनिया-भर का, सब भार तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में...

जो जग में रहूं, तो ऐसे रहूं, ज्यों जल में फूल कमल का रहे,
मेरे सब गुण-दोष समर्पित हों, गोपाल तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में...

यदि मानुष का मुझे जन्म मिले, तेरे चरणों का पुजारी बनूं,
इस पूजक की इक-इक रग का रहे तार तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में...

जब-जब संसार का कैदी बनूं, निष्काम भाव से कर्म करूं,
फिर अंत समय में प्राण तजूं, निराकार तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में...

मुझमें तुझमें बस भेद यही, मैं नर हूं तुम नारायण हो,
मैं हूं संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में...

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