विशेष नोट : मेरे ननिहाल के पड़ोस में अधिकतर जैन परिवार बसे हुए हैं, और चूंकि बचपन की अधिकतर छुट्टियां वहीं उन्हीं के घरों में खेलते बीती हैं, अत: यह भी याद है...
णमो अरिहन्ताणम्
णमो सिद्धाणम्
णमो आयरियाणम्
णमो उवज्झायाणम्
णमो लोए सव्वसाहूणम्
अर्थ : अरिहंतों को नमस्कार हो, सिद्धों को नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायों को नमस्कार हो, इस लोक के सभी साधुओं को नमस्कार हो...
णमोक्कार मंत्र का महत्व
एसो पंच णमोकारो, सव्वपावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं होइ मंगलं।।
अर्थ : यह पंच णमोक्कार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है... इसके पढ़ने से हर प्रकार का मंगल होता है...
बचपन से ही कविताओं का शौकीन रहा हूं, व नानी, मां, मौसियों के संस्कृत श्लोक व भजन भी सुनता था... कुछ का अनुवाद भी किया है... वैसे यहां अनेक रचनाएं मौजूद हैं, जिनमें कुछ के बोल मार्मिक हैं, कुछ हमें गुदगुदाते हैं... और हां, यहां प्रकाशित प्रत्येक रचना के कॉपीराइट उसके रचयिता या प्रकाशक के पास ही हैं... उन्हें श्रेय देकर ही इन रचनाओं को प्रकाशित कर रहा हूं, परंतु यदि किसी को आपत्ति हो तो कृपया vivek.rastogi.2004@gmail.com पर सूचना दें, रचना को तुरंत हटा लिया जाएगा...
Tuesday, December 16, 2008
णमोक्कार महामंत्र (मूल एवं हिन्दी अनुवाद सहित)
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