रचनाकार : भरत व्यास
फिल्म : दो आंखें बारह हाथ (1957)
पार्श्वगायन : लता मंगेशकर, वी शांताराम
संगीतकार : वसंत देसाई
विशेष नोट : वी शांताराम द्वारा बनाई हिन्दी फिल्म 'दो आंखें बारह हाथ' में फिल्माया गया यह गीत आज भी बहुत-से विद्यालयों में प्रार्थना के रूप में गाया जाता है...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
जब ज़ुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना,
वो बुराई करें,
हम भलाई भरें,
नहीं बदले की हो कामना...
बढ़ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इनसान घबरा रहा,
हो रहा बेखबर,
कुछ न आता नज़र,
सुख का सूरज छिपा जा रहा,
है तेरी रोशनी में वो दम,
जो अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
बड़ा कमज़ोर है आदमी,
अभी लाखों हैं इसमें कमी,
पर तू जो खड़ा,
है दयालू बड़ा,
तेरी किरपा से धरती थमी,
दिया तूने हमें जब जनम,
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म,
नेकी पर चलें,
और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम...
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम...
बचपन से ही कविताओं का शौकीन रहा हूं, व नानी, मां, मौसियों के संस्कृत श्लोक व भजन भी सुनता था... कुछ का अनुवाद भी किया है... वैसे यहां अनेक रचनाएं मौजूद हैं, जिनमें कुछ के बोल मार्मिक हैं, कुछ हमें गुदगुदाते हैं... और हां, यहां प्रकाशित प्रत्येक रचना के कॉपीराइट उसके रचयिता या प्रकाशक के पास ही हैं... उन्हें श्रेय देकर ही इन रचनाओं को प्रकाशित कर रहा हूं, परंतु यदि किसी को आपत्ति हो तो कृपया vivek.rastogi.2004@gmail.com पर सूचना दें, रचना को तुरंत हटा लिया जाएगा...
Saturday, December 13, 2008
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम... (फिल्मी प्रार्थना)
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