विशेष नोट : भजनों और संस्कृत श्लोकों के अतिरिक्त जो मुझे बेहद पसंद है, वह देशभक्ति गीत हैं... और मुझे खुशी होती है कि मैं उन लोगों में से हूं, जो इन गीतों को सिर्फ 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर ही नहीं, सारे साल लगभग रोज़ ही सुनता हूं... सो, एक ऐसा ही गीत आपके लिए भी...
फिल्म - काबुलीवाला
पार्श्वगायक - मन्ना डे
संगीतकार - सलिल चौधरी
गीतकार - प्रेम धवन
ऐ मेरे प्यारे वतन... ऐ मेरे बिछड़े चमन...
तुझपे दिल कुर्बान...
तू ही मेरी आरज़ू... तू ही मेरी आबरू...
तू ही मेरी जान...
मां का दिल बनके कभी, सीने से लग जाता है तू...
और कभी नन्ही-सी बेटी, बनके याद आता है तू...
जितना याद आता है मुझको, उतना तड़पाता है तू...
तुझपे दिल कुर्बान...
तेरे दामन से जो आए, उन हवाओं को सलाम...
चूम लूं मैं उस ज़ुबां को, जिसपे आए तेरा नाम...
सबसे प्यारी सुबह तेरी, सबसे रंगीं तेरी शाम...
तुझपे दिल कुर्बान...
छोड़कर तेरी ज़मीं को दूर आ पहुंचे हैं हम...
है मगर ये ही तमन्ना, तेरे ज़र्रों की कसम...
जिस जगह पैदा हुए थे, उस जगह ही निकले दम...
तुझपे दिल कुर्बान...
फिल्म - काबुलीवाला
पार्श्वगायक - मन्ना डे
संगीतकार - सलिल चौधरी
गीतकार - प्रेम धवन
ऐ मेरे प्यारे वतन... ऐ मेरे बिछड़े चमन...
तुझपे दिल कुर्बान...
तू ही मेरी आरज़ू... तू ही मेरी आबरू...
तू ही मेरी जान...
मां का दिल बनके कभी, सीने से लग जाता है तू...
और कभी नन्ही-सी बेटी, बनके याद आता है तू...
जितना याद आता है मुझको, उतना तड़पाता है तू...
तुझपे दिल कुर्बान...
तेरे दामन से जो आए, उन हवाओं को सलाम...
चूम लूं मैं उस ज़ुबां को, जिसपे आए तेरा नाम...
सबसे प्यारी सुबह तेरी, सबसे रंगीं तेरी शाम...
तुझपे दिल कुर्बान...
छोड़कर तेरी ज़मीं को दूर आ पहुंचे हैं हम...
है मगर ये ही तमन्ना, तेरे ज़र्रों की कसम...
जिस जगह पैदा हुए थे, उस जगह ही निकले दम...
तुझपे दिल कुर्बान...
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