Saturday, June 04, 2011

प्यारी निष्ठा... (रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')

विशेष नोट : श्री रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' द्वारा उनकी पोती प्राची के लिए रचित कविता 'प्यारी प्राची' को मैंने पिछले वर्ष अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया था, और बेटी के प्यार में पड़कर उसमें उनकी पोती का नाम क्षमाप्रार्थना के साथ अपनी बेटी के नाम से बदल दिया था... आज शास्त्री जी ने मेरी बेटी के लिए नई कविता लिखकर प्रेषित की है, उनका हार्दिक धन्यवाद, एक पिता के रूप में... आप सब भी पढ़कर आनंद लें... वैसे इस कविता के प्रकाशन के साथ ही उनकी मूल कविता में उनकी पोती प्राची का ही नाम लगा दिया है...


प्यारी-प्यारी गुड़िया जैसी,
बिटिया तुम हो कितनी प्यारी...
मोहक है मुस्कान तुम्हारी,
घर-भर की तुम राजदुलारी...

नए-नए परिधान पहनकर,
सबको बहुत लुभाती हो...
अपने मन का गाना सुनकर,
ठुमके खूब लगाती हो...

निष्ठा तुम प्राची जैसी ही,
चंचल-नटखट बच्ची हो...
मन में मैल नहीं रखती हो,
देवी जैसी सच्ची हो...

दिन-भर के कामों से थककर,
जब घर वापिस आता हूं...
तुमसे बातें करके सारे,
कष्ट भूल मैं जाता हूं...

मेरे घर-आंगन की तुम तो,
नन्हीं कलिका हो सुरभित...
हंसते-गाते देख तुम्हें,
मन सबका हो जाता हर्षित...

2 comments:

  1. मेरे घर-आंगन की तुम तो,
    नन्हीं कलिका हो सुरभित...
    हंसते-गाते देख तुम्हें,
    मन सबका हो जाता हर्षित..
    --बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ ..
    प्यारी-प्यारी निष्ठा के लिए यह प्यारी सी कविता सुन्दर उपहार जैसा ही है .
    स्नेह सहित शुभाशीष निष्ठा.
    ......

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  2. मेरी पौत्री समान निष्ठा को बहुत-बहुत प्यार-दुलार और शुभाशीष!
    कुछ और फोटो भी निष्ठा के मुझे भेजना!
    आखिर बच्चे ही तो मेरा बालस्रजन संसार है!

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