Wednesday, August 19, 2009

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के...

विशेष नोट : भजनों और संस्कृत श्लोकों के अतिरिक्त जो मुझे बेहद पसंद है, वह देशभक्ति गीत हैं... और मुझे खुशी होती है कि मैं उन लोगों में से हूं, जो इन गीतों को सिर्फ 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर ही नहीं, सारे साल लगभग रोज़ ही सुनता हूं... सो, कवि प्रदीप द्वारा लिखा एक ऐसा ही गीत आपके लिए भी...

फिल्म - गंगा जमुना
पार्श्वगायक - हेमंत कुमार
संगीतकार - नौशाद
गीतकार - कवि प्रदीप (वास्तविक नाम - रामचंद्र द्विवेदी)

इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के...

दुनिया के रंज सहना, और कुछ न मुंह से कहना,
सच्चाइयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना...

रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के...
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के...

अपने हों या पराए, सबके लिए हो न्याय,
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ न डगमगाए...

रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना सम्भल-सम्भल के...
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के...

इन्सानियत के सिर पे, इज़्ज़त का ताज रखना,
तन-मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना...

जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के...
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के...

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