विशेष नोट : बेहद खूबसूरत कविता, जो हमेशा से मुझे बेहद पसंद रही है... मन में पगे प्रेम की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति यदा-कदा ही देखने-सुनने को मिलती है, सो, आज आप सब भी इसका आनंद लें...
फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
गीतकार : नीरज
संगीतकार : सचिनदेव बर्मन
पार्श्वगायक : किशोर कुमार
फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखी रोज़ पाती...
कैसे बताऊं, किस-किस तरह से, पल-पल मुझे तू सताती...
तेरे ही सपने, लेकर के सोया, तेरी ही यादों में जागा...
तेरे खयालों में, उलझा रहा यूं, जैसे कि माला में धागा...
हां... बादल-बिजली, चन्दन-पानी जैसा अपना प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
हां... इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
सांसों की सरगम, धड़कन की बीना, सपनों की गीतांजलि तू...
मन की गली में, महके जो हरदम, ऐसी जूही की कली तू...
छोटा सफ़र हो, लम्बा सफ़र हो, सूनी डगर हो या मेला...
याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला...
हां... बादल-बिजली, चन्दन-पानी जैसा अपना प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
हां... इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
पूरब हो पश्चिम, उत्तर हो दख्खिन, तू हर जगह मुस्कुराए...
जितना ही जाऊं, मैं दूर तुझसे, उतनी ही तू पास आए...
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनिया ने हंसकर पुकारा...
तस्वीर तेरी, लेकिन लिए मैं, कर आया सबसे किनारा...
हां... बादल-बिजली, चन्दन-पानी जैसा अपना प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
हां... इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
गीतकार : नीरज
संगीतकार : सचिनदेव बर्मन
पार्श्वगायक : किशोर कुमार
फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखी रोज़ पाती...
कैसे बताऊं, किस-किस तरह से, पल-पल मुझे तू सताती...
तेरे ही सपने, लेकर के सोया, तेरी ही यादों में जागा...
तेरे खयालों में, उलझा रहा यूं, जैसे कि माला में धागा...
हां... बादल-बिजली, चन्दन-पानी जैसा अपना प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
हां... इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
सांसों की सरगम, धड़कन की बीना, सपनों की गीतांजलि तू...
मन की गली में, महके जो हरदम, ऐसी जूही की कली तू...
छोटा सफ़र हो, लम्बा सफ़र हो, सूनी डगर हो या मेला...
याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला...
हां... बादल-बिजली, चन्दन-पानी जैसा अपना प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
हां... इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
पूरब हो पश्चिम, उत्तर हो दख्खिन, तू हर जगह मुस्कुराए...
जितना ही जाऊं, मैं दूर तुझसे, उतनी ही तू पास आए...
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनिया ने हंसकर पुकारा...
तस्वीर तेरी, लेकिन लिए मैं, कर आया सबसे किनारा...
हां... बादल-बिजली, चन्दन-पानी जैसा अपना प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
हां... इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार...
लेना होगा, जनम हमें, कई-कई बार...
No comments:
Post a Comment