विशेष नोट : गर्मियां आईं, स्कूलों में छुट्टियां हुईं, और बच्चे दिल्ली पहुंचे, यह तो हर बार होता ही है... हर बार उन्हें कुछ न कुछ नया सिखाता भी हूं, सो, इस बार भी एक कविता लिख दी है उनके लिए... आप लोग भी मुलाहिज़ा फरमाएं...
छुट्टी थी जब स्कूल में अपने, सब कुछ हुआ था बंद,
दिल्ली जाकर मैं और निष्ठा, रहे थे सबके संग...
दादा-दादी, चाचा-चाची, सबका मिला था प्यार,
रोज़ किया था हल्ला-गुल्ला, रोज़ ही चीख-पुकार...
सॉफ्टी थी, और शरबत भी था, था रबड़ी का दोना,
सबके संग खाया था सब कुछ, कोई न रोना-धोना...
लोटस टेम्पल, लालकिला भी देखा था इस बार,
कुतुब दिखाया पापा ने, दिलवाई खिलौना कार...
चिड़ियाघर में सभी जानवर, देखे हमने मिलकर,
शेर भी देखा, हाथी भी था, और था मोटा बंदर...
मैट्रो की भी सैर कराई, बहुत मज़ा था आया,
इंडिया गेट पर बोट में बैठे, सबका मन हर्षाया...
पार्क में लेकर गई थीं मम्मी, ढेरों थे वहां झूले,
वहां किया था हल्ला जमकर, अब तक हम न भूले...
कोई नहीं थी चिन्ता हमको, कोई किया न काम,
सारे दिन करते थे मस्ती, खेल-कूद, आराम...
Bahut hi Badiya kavita..Both looking very sweet
ReplyDeleteDhanyavaad Arun... Kavita ki prashansa ke liye bhi, aur mere bachchon ki taareef ke liye bhi... :-)
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए बधाई . आप बच्चों के लिए अच्छी रचनाएँ चुनकर साभार प्रकाशित कर रहें हैं , यह आपकी सदाशयता है , बड़प्पन है अन्यथा आज के निहित स्वार्थ के युग में इन्सान को अपने अलावा सोचने की फुर्सत ही कहाँ है ? सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में लोग किसी भी हद तक गिर जाते हैं .
ReplyDeleteखैर ..... बाल मंदिर में भी आपको अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ मिलेगा . ... और अभिनव सृजन में भी . आइए स्वागत है .
http://baal-mandir.blogspot.com/
http://abhinavsrijan.blogspot.com/
धन्यवाद, पांडेय जी... :-)
Deletevart man parivash par likhi gayi aapki rachanaye bahut sresth hai . badhai ........ comment as Subodh bajpai powayan friend Of vibhor pandey .... subodhbajpaipoet@gmail.com
ReplyDelete& - vibhor- ankitpandeylove@gmail.com
शुक्रिया, सुबोध भाई... :-)
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