विशेष नोट : 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा...' गीत लिखने के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध रहे मोहम्मद इक़बाल का जन्म 9 नवंबर, 1877 को पंजाब के सियालकोट में हुआ, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है, और उनका निधन 21 अप्रैल, 1938 को हुआ... उनकी यह रचना भी काफी मशहूर है, सो, आप लोगों के लिए भी पेश है...
सितारों के आगे जहां और भी हैं...
अभी इश्क़ [1] के इम्तिहां [2] और भी हैं...
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ाएं...
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं...
क़ना'अत [3] न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू [4] पर...
चमन और भी, आशियां [5] और भी हैं...
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म...
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां [6] और भी हैं...
तू शाहीं [7] है, परवाज़ [8] है काम तेरा...
तेरे सामने आसमां और भी हैं...
इसी रोज़-ओ-शब [9] में उलझकर न रह जा...
के तेरे ज़मीन-ओ-मकां [10] और भी हैं...
गए दिन, के तन्हा था मैं अंजुमन [11] में...
यहां अब मेरे राज़दां [12] और भी हैं...
मुश्किल अल्फ़ाज़ के माने... (कठिन शब्दों के अर्थ)
1. प्रेम
2. परीक्षाएं
3. संतोष
4. इन्द्रीय संसार
5. घरौंदे
6. रोने-धोने की जगहें
7. गरुड़, उक़ाब
8. उड़ान भरना
9. सुबह-शाम के चक्कर
10. धरती और मकान
11. महफ़िल
12. रहस्य जानने वाले
सितारों के आगे जहां और भी हैं...
अभी इश्क़ [1] के इम्तिहां [2] और भी हैं...
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ाएं...
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं...
क़ना'अत [3] न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू [4] पर...
चमन और भी, आशियां [5] और भी हैं...
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म...
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां [6] और भी हैं...
तू शाहीं [7] है, परवाज़ [8] है काम तेरा...
तेरे सामने आसमां और भी हैं...
इसी रोज़-ओ-शब [9] में उलझकर न रह जा...
के तेरे ज़मीन-ओ-मकां [10] और भी हैं...
गए दिन, के तन्हा था मैं अंजुमन [11] में...
यहां अब मेरे राज़दां [12] और भी हैं...
मुश्किल अल्फ़ाज़ के माने... (कठिन शब्दों के अर्थ)
1. प्रेम
2. परीक्षाएं
3. संतोष
4. इन्द्रीय संसार
5. घरौंदे
6. रोने-धोने की जगहें
7. गरुड़, उक़ाब
8. उड़ान भरना
9. सुबह-शाम के चक्कर
10. धरती और मकान
11. महफ़िल
12. रहस्य जानने वाले
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