विशेष नोट : एक बेहद खूबसूरत गीत, जो सहज ही देशभक्ति गीत कहा जा सकता है... मुझे काफी पसंद है, और बचपन से ही याद है... सो, आज आप लोगों के लिए भी प्रस्तुत है...
फिल्म : सिकन्दर-ए-आज़म (1965)
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण
संगीत निर्देशक : हंसराज बहल
पार्श्वगायक : मोहम्मद रफी
फिल्म निर्देशक : केदार कपूर
पर्दे पर : पृथ्वीराज कपूर, प्रेमनाथ, प्रेम चोपड़ा तथा अन्य
गुरुर्ब्रह्मः गुरुर्विष्णुः
गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात् परब्रह्मः
तस्मै श्री गुरुवे नम:
जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़ियां करती हैं बसेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जहां सत्य, अहिंसा और धरम का पग-पग लगता डेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जय भारती... जय भारती... जय भारती... जय भारती...
ये धरती वो जहां ऋषि-मुनि, जपते प्रभु नाम की माला...
हरिओम... हरिओम... हरिओम... हरिओम...
जहां हर बालक इक मोहन है, और राधा इक-इक बाला...
...और राधा इक-इक बाला...
जहां सूरज सबसे पहले आकर डाले अपना घेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जहां गंगा-जमुना-कृष्णा और कावेरी बहती जाएं...
जहां पूरब-पश्चिम उत्तर-दक्षिण को अमृत पिलवाएं...
...ये अमृत पिलवाएं...
कहीं ये तो फल और फूल उगाएं, केसर कहीं बिखेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
अलबेलों की इस धरती के, त्योहार भी हैं अलबेले...
कहीं दिवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले...
कहीं दिवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले...
होली के कहीं मेले...
जहां राग-रंग और हंसी-खुशी का चारों ओर है घेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जहां आसमान से बातें करते, मंदिर और शिवाले...
किसी नगर में, किसी द्वार पर, कोई न ताला डाले...
कोई न ताला डाले...
और प्रेम की बंसी जहां बजाता आए शाम-सवेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
फिल्म : सिकन्दर-ए-आज़म (1965)
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण
संगीत निर्देशक : हंसराज बहल
पार्श्वगायक : मोहम्मद रफी
फिल्म निर्देशक : केदार कपूर
पर्दे पर : पृथ्वीराज कपूर, प्रेमनाथ, प्रेम चोपड़ा तथा अन्य
गुरुर्ब्रह्मः गुरुर्विष्णुः
गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात् परब्रह्मः
तस्मै श्री गुरुवे नम:
जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़ियां करती हैं बसेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जहां सत्य, अहिंसा और धरम का पग-पग लगता डेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जय भारती... जय भारती... जय भारती... जय भारती...
ये धरती वो जहां ऋषि-मुनि, जपते प्रभु नाम की माला...
हरिओम... हरिओम... हरिओम... हरिओम...
जहां हर बालक इक मोहन है, और राधा इक-इक बाला...
...और राधा इक-इक बाला...
जहां सूरज सबसे पहले आकर डाले अपना घेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जहां गंगा-जमुना-कृष्णा और कावेरी बहती जाएं...
जहां पूरब-पश्चिम उत्तर-दक्षिण को अमृत पिलवाएं...
...ये अमृत पिलवाएं...
कहीं ये तो फल और फूल उगाएं, केसर कहीं बिखेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
अलबेलों की इस धरती के, त्योहार भी हैं अलबेले...
कहीं दिवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले...
कहीं दिवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले...
होली के कहीं मेले...
जहां राग-रंग और हंसी-खुशी का चारों ओर है घेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
जहां आसमान से बातें करते, मंदिर और शिवाले...
किसी नगर में, किसी द्वार पर, कोई न ताला डाले...
कोई न ताला डाले...
और प्रेम की बंसी जहां बजाता आए शाम-सवेरा...
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा...
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