विशेष नोट : अपने पुत्र सार्थक और पुत्री निष्ठा को सिखाने के लिए सदा कुछ नया ढूंढता रहता हूं, सो, अचानक श्री श्यामसुन्दर अग्रवाल द्वारा लिखित यह कविता मिल गई... डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.कविताकोश.ओआरजी (www.kavitakosh.org) के अनुसार श्री अग्रवाल का जन्म पंजाब के कोटकपुरा में हुआ था... श्री अग्रवाल हिन्दी और पंजाबी भाषा में कविताएं रचने के अतिरिक्त कहानियां और लघुकथाएं लिखने, उनके सम्पादन तथा अनुवाद करने के लिए भी जाने जाते हैं... श्री अग्रवाल पिछले 21 वर्ष से लघुकथाओं की पंजाबी त्रैमासिक पत्रिका 'मिन्नी' के संयुक्त सम्पादक भी हैं...
रविवार का प्यारा दिन है,
आज हमारी छुट्टी है...
उठ जाएंगे क्या जल्दी है,
नींद तो पूरी करने दो...
बड़ी थकावट हफ्ते भर की,
आराम ज़रूरी करने दो...
नहीं घड़ी की ओर देखना,
न करनी कोई भागम-भाग...
मनपसंद वस्त्र पहनेंगे,
आज नहीं वर्दी का राग...
खाएंगे आज गर्म परांठे,
और खेलेंगे मित्रों संग...
टीचर जी का डर न हो तो,
उठती मन में खूब उमंग...
होम-वर्क को नमस्कार,
और बस्ते के संग कुट्टी है...
मम्मी, कोई काम न कहना,
आज हमारी छुट्टी है...
बचपन से ही कविताओं का शौकीन रहा हूं, व नानी, मां, मौसियों के संस्कृत श्लोक व भजन भी सुनता था... कुछ का अनुवाद भी किया है... वैसे यहां अनेक रचनाएं मौजूद हैं, जिनमें कुछ के बोल मार्मिक हैं, कुछ हमें गुदगुदाते हैं... और हां, यहां प्रकाशित प्रत्येक रचना के कॉपीराइट उसके रचयिता या प्रकाशक के पास ही हैं... उन्हें श्रेय देकर ही इन रचनाओं को प्रकाशित कर रहा हूं, परंतु यदि किसी को आपत्ति हो तो कृपया vivek.rastogi.2004@gmail.com पर सूचना दें, रचना को तुरंत हटा लिया जाएगा...
Tuesday, July 13, 2010
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