विशेष नोट : अधिकतर बच्चों की तरह मेरे आदर्श भी मेरे पिता ही रहे हैं... सरकारी नौकरी छोड़कर मेरे पत्रकार बन जाने की एकमात्र वजह भी यही थी कि वह पत्रकार थे... अपने कॉलेज के समय में वह 'शैल' उपनाम से कविता भी किया करते थे, सो, आज उनकी डायरी से एक कविता आप सबके लिए प्रस्तुत कर रहा हूं... यह कविता उनकी डायरी के मुताबिक 11 जनवरी, 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु का समाचार प्राप्त होने के कुछ मिनट पश्चात लिखी गई थी...
जननी के गौरव के रक्षक,
ओ शांतिवीर, ओ कर्मवीर,
भारत-भर के सुन्दर प्रतीक,
ओ लालबहादुर, शूरवीर...
जन-मन के ओ प्रियतम नेता,
मेरे भारत के हृदय-सम्राट,
अर्पित मेरे श्रद्धाप्रसून,
स्वीकार करो वामन-विराट...
साधारण-जन के कुलदीपक,
मानवता के अभिनव प्रहरी,
है नमस्कार तुमको जन का,
स्वीकार करो मानव-केहरी...
बचपन से ही कविताओं का शौकीन रहा हूं, व नानी, मां, मौसियों के संस्कृत श्लोक व भजन भी सुनता था... कुछ का अनुवाद भी किया है... वैसे यहां अनेक रचनाएं मौजूद हैं, जिनमें कुछ के बोल मार्मिक हैं, कुछ हमें गुदगुदाते हैं... और हां, यहां प्रकाशित प्रत्येक रचना के कॉपीराइट उसके रचयिता या प्रकाशक के पास ही हैं... उन्हें श्रेय देकर ही इन रचनाओं को प्रकाशित कर रहा हूं, परंतु यदि किसी को आपत्ति हो तो कृपया vivek.rastogi.2004@gmail.com पर सूचना दें, रचना को तुरंत हटा लिया जाएगा...
Friday, July 17, 2009
श्रद्धांजलि लालबहादुर शास्त्री को... (राम अवतार रस्तोगी 'शैल')
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