विशेष नोट : मेरे बचपन में हमारे घर के पास बने मंदिर में प्रवचन और भगवत कथा के लिए एक स्वामी जी आया करते थे, जो अब वृंदावन में आश्रम बनाकर रहते हैं... वह एक भजन गाया करते थे, जो मुझे काफी पसंद था, सो, आज वह भी आप लोगों के लिए ले आया हूं... संभव है, इसमें एक-दो अंतरे और भी हों, लेकिन मुझे इतना ही याद है...
नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा...
सांवली सूरत, मुख चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा...
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं...
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं...
ज्यों तारों में चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा...
ज्यों तारों में चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा...
नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा...
सब सखियन में राधा बड़ी हैं...
सब सखियन में राधा बड़ी हैं...
ज्यों नदियों में गंगा, भजो रे मन गोविन्दा...
ज्यों नदियों में गंगा, भजो रे मन गोविन्दा...
नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा...
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