tag:blogger.com,1999:blog-3482810709748108183.post8958396724175408532..comments2023-09-23T16:09:45.698+05:30Comments on कुछ पुरानी यादें... (कविताएं, गीत, भजन, प्रार्थनाएं, श्लोक, अनूदित रचनाएं): ठुकरा दो या प्यार करो... (सुभद्राकुमारी चौहान)Vivek Rastogihttp://www.blogger.com/profile/13115647692028990343noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3482810709748108183.post-25035820984346317312010-04-13T12:43:17.164+05:302010-04-13T12:43:17.164+05:30आपका सदा स्वागत है यहां, अल्पना जी... :-)आपका सदा स्वागत है यहां, अल्पना जी... :-)Vivek Rastogihttps://www.blogger.com/profile/13115647692028990343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3482810709748108183.post-13779334697976318302010-04-13T01:59:23.262+05:302010-04-13T01:59:23.262+05:30ईश्वर को भक्ति से अधिक क्या चाह होगी.मन से स्मरण क...ईश्वर को भक्ति से अधिक क्या चाह होगी.मन से स्मरण करने से भी उसके दर्शन हो सकते हैं.'जो कुछ है उसी का है उसको अर्पण करती कवियत्री ने भावों को बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है.सुभद्रा कुमारी चौहान जी की इस कविता को पढवाने के लिए आभार.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.com